- सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद गांवों में खुशियां मनाई जा रहीं, घर-घर पगड़ी बांटी जा रही
- 16वीं सदी में मुगलों से हारने के बाद गजसिंह ने ली थी प्रतिज्ञा
अयोध्या/लखनऊ (विजय उपाध्याय). अयोध्या से सटे पूरा बाजार ब्लाॅक व आसपास के 105 गांव के सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद फिर एक बार पगड़ी बांधेंगे और चमड़े के जूते पहनेंगे। कारण- राम मंदिर निर्माण का इनका संकल्प पूरा हुआ। इन गांवों में घर-घर जाकर और सार्वजनिक सभाओं में क्षत्रियों को पगड़ियां बांटी जा रही हैं। सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे। सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा पड़ोसी बस्ती जिले के 105 गांव में रहते हैं। ये सभी ठाकुर परिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के आदेश के बाद अयोध्या के इन गांवों में गजब का उत्साह है।
अब मंदिर बनने का इंतजार
सरायरासी के बासदेव सिंह वकील हैं। उन्होंने कहा कि सरायरासी में कोर्ट के फैसले के बाद से अब तक 400 पगड़ी बांटी जा चुकी हैं। समाज के करीब डेढ़ लाख लोग यहां आसपास के गांवों में रहते हैं। इतने वर्षो तक सूर्यवंशी क्षत्रियों ने शादी में भी पगड़ी नहीं बांधी है। समारोहों व पंचायत में भी संकल्प के मुताबिक सिर खुला रखते रहे हैं। अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, 'सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए शादी में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया था, तब चमड़े के बने होते थे। लिहाजा खड़ाऊ पहनने लगे। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने गए। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार कोर्ट के फैसले से खुश हैं और उन्हें भव्य मंदिर बनने का इंतजार है।'
जन्मभूमि उद्धार होय ता दिन बड़ी भाग
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस डीपी सिंह के मुताबिक उनके पूर्वजों ने 16वीं सदी में मंदिर बचाने के लिए ठाकुर गजसिंह के नेतृत्व में मुगलों से युद्ध लड़ा। उसमें वे हार गए। उसके बाद गजसिंह ने पगड़ी व जूते न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। कवि जयराज ने लिखा था- 'जन्मभूमि उद्धार होय ता दिन बड़ी भाग। छाता पग पनही नहीं और न बांधहिं पाग।'